जाने इंडिया के बेस्ट 10 Engineers के बारे में.

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जाने इंडिया के बेस्ट 10 Engineers के बारे में.

जाने इंडिया के बेस्ट 10 Engineers के बारे में. भारत में इंजीनियर की कोई कमी नहीं है हर साल लाखों इंजीनियर भारत में अपना इंजीनियरिंग का कोर्स पूरा करते हैं। लेकिन इंडिया में कुछ ऐसे भी इंजीनियर हुए हैं जिन्होंने अपनी योग्यता के दम पर समाज हित के लिए बड़ा योगदान दिया है।

इस आर्टिकल में हम इंडिया के बेस्ट 10 इंजीनियर के बारे में जानेंगे जिन्होंने समाज के लिए काफी महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। ये वो इंजीनियर हैं जिन्होंने अपने क्षेत्र में बेहतर कार्य से लोगों का जीवन आसान किया है।

इसमें एपीजे अब्दुल कलाम का नाम तो सब ने सुना है जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सेवा में न्योछावर कर दिया। लेकिन कुछ ऐसे भी इंजीनियर हैं जिनके काम को लोग बहुत कम जानते हैं। तो आइए ऐसे लोगों के बारे में जानते हैं।

जाने इंडिया के बेस्ट 10 Engineers के बारे में – Sir Mokshagundam Visvesvaraya

इनका पूरा नाम मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या है तथा लोग इन्हें sir MV के नाम से भी जानते हैं। इनका जन्म तेलुगु ब्राह्मण परिवार में 15 सितंबर 1860 को kingdom of mysore के Muddenahalli नामक गाँव में हुआ था जिसे अब Chikkaballapur नाम से जाना जाता है और ये गाँव वर्तमान समय में कर्नाटक राज्य के अंतर्गत आता है।

इनके पिता का नाम मोक्षगुंडम श्रीनिवास शास्त्री था तथा इनके माता का नाम Venkatalakshmamma था। इनकी प्राथमिक शिक्षा बेंगलोर मे हुई और उसके बाद इन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास से बीएससी की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद इन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ बॉम्बे से सम्बद्ध संस्थान से Diploma in civil engineering की पढ़ाई पूरी की। 1885 में इन्होंने अपने करिअर की शुरुआत बॉम्बे में असिस्टेन्ट इंजीनियर के पद से की।

वर्ष 1889 में पुणे में इन्होंने executive engineer of irrigation के पद पर नौकरी शुरू की। इन्होंने Deccan plateau में एक जटिल सिंचाई व्यवस्था लागू की और Khadakvasla Reservoir के जलद्वार पर स्वचलित बांध के गेट की व्यवस्था का निर्माण किया और उसे लागू किया। इस गेट की वजह से जलाशय में जल रोकने की क्षमता बढ़ी और इसकी सफलता को देखते हुए Tigra Dam और Krishna Raja Sagara Dam में भी ऐसे गेट बनाए गए।

इन्होंने हैदराबाद के लिए फ्लड प्रोटेक्सन सिस्टम बनाया जिसके बाद वो काफी मशहूर हुए। 1908 में ये ब्रिटिश सरकार की नौकरी से सेवा निवृत हुए और 1909 में Mysore के मुख्य इंजीनियर के तौर पर इन्हें नियुक्त किया गया। उसके बाद 1912 में इन्हें Mysore का दीवान नियुक्त किया गया और इस पद पर वो सात साल कार्यरत रहे।

1911 में इन्हें Companion of the Order of the Indian Empire पद पर नियुक्त किया गया तथा उनके जनहित कार्य के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा knight commander के पद से सम्मानित किया गया। भारत की आजादी के बाद 1955 में इन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 14 अप्रैल 1962 को बैंगलौर में इनका देहांत हो गया। इनके जन्मदिन 15 सितम्बर को इंजीनियर्स डे के तौर पर मनाया जाता है।   

Apj abdul kalam

इनका पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। इन्होंने मिसाइल टेक्नॉलजी को इतना आगे बढ़ाया की इन्हें मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता है। इनका जन्म 15 अकतूबर 1931 को तमिल नाडू के रामेश्वरम में हुआ था। इनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन था जिनके पास एक नाव थी जिसकी मदद से वो तीर्थयात्रियों को रामेश्वरम से धनुषकोडी ले जाते और वापस लाते। इनके माता का नाम आशिअम्मा था जो की गृहणी थीं।

स्कूल के समय में ये औसत विद्यार्थी थे लेकिन काफी मेहनती और तेज थे। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण स्कूल के समय में इन्होंने अखबार बांटने का काम शुरू किया। इन्होंने अपनी उच्च पढ़ाई aeronautical engineering की डिग्री madras institute of technology से पूरी की। इसके बाद 1960 में इन्होंने DRDO के aeronautical development establishment में scientist के तौर पर काम शुरू किया।

1969 में अब्दुल कलाम को ISRO (Indian space research organisation) में काम करने का मौका मिला जहां वो SLV 3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनाए गए जो की सफल रहा। इसके बाद इन्होंने कई मिसाइल प्रोजेक्ट पर कार्य किया और सफल रहे। इन्हें भारत के पहले न्यूक्लीयर टेस्ट में भी आमंत्रित किया गया।

1997 में इन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया तथा इसके पहले ही उन्हें पदम भूषण और पदम विभूषण से सम्मानित किया गया था। इसके बाद इन्हें भारत और अन्य देशों से कई तरह के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2002 में इन्हें भारत के 11 वें राष्ट्रपति के पद से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति रहते हुए भी इन्होंने सादा जीवन अपनाया और देश सेवा करते रहे।

27 जुलाई 2015 को IIM Shillong में भाषण देते हुए cardiac arrest होने की वजह से गिर गए और 83 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई। उन्हें full state honour के साथ दफनाया गया। उन्होंने कभी शादी नहीं की और आजीवन ब्रह्मचारी रहे तथा सादा जीवन व्यतीत किया।

जाने इंडिया के बेस्ट 10 Engineers के बारे में – E sreedharan

इनका पूरा नाम Elattuvalapil Sreedharan है तथा इनका जन्म 12 जून 1932 को केरल के एक मलयाली परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम Keezhveettil Neelakandan Moosath तथा माता का नाम Ammaluamma था। इनकी प्राथमिक शिक्षा Palakkad जिले के एक सरकारी विद्यालय से हुई तथा Basel Evangelical Mission Higher Secondary School से अपनी इन्टरमीडीएट की पढ़ाई पूरी की।

इसके बाद इन्होंने पालघाट में Victoria college में दाखिला लिया और उसके बाद आंध्र प्रदेश में काकीनंदा में स्थित Government Engineering College (जिसे अब Jawaharlal Nehru Technological University, Kakinada के नाम से जाना जाता है) से सीविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।

अपने करिअर की शुरुआत में इन्होंने सरकारी पालीटेक्निक कॉलेज में लेक्चरर के पद पर कार्य किया तथा उसके बाद 1953 में UPSC द्वारा कराए जाने वाले IES ( indian engineering sevices) की परीक्षा पास की और इसके जरिए Indian Railway Service of Engineers में नौकरी प्राप्त की। उन्हें southern railway में Probationary Assistant Engineer के पद पर नियुक्त किया गया।

दिसम्बर 1964 में तमिलनाडु में आए तूफान की वजह से Pamban bridge के कुछ हिस्से नष्ट हो गए जिसे ठीक करने के लिए रेल्वे ने 6 महीने का समय रखा लेकिन sreedharan के बॉस ने उसे कम करके 3 महीने कर दिया। उस समय इनको उस प्रोजेक्ट का incharge बनाया गया था। और इस काम को इन्होंने मात्र 46 दिन में पूरा कर दिया जिसके लिए उन्हें सम्मानित किया गया।

1970 में भारत की पहली मेट्रो, कोलकाता के प्रोजेक्ट में इन्हें implementation, planning और design का incharge बनाया गया और इन्होंने इस प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक पूरा करते हुए देश में नई इंजीनियरिंग तकनीक की नीव रखी। इसके बाद इन्हें कोंकण रेल्वे, दिल्ली मेट्रो, कोची मेट्रो, लखनऊ मेट्रो और अन्य मेट्रो प्रोजेक्ट को सफल बनाने में अपना योगदान दिया और इसी वजह से इन्हें मेट्रो मैन के नाम से भी जाना जाता है।

18 फ़रवरी 2021 को ये भारतीय जनता पार्टी से जुड़े और 17 दिसम्बर 2021 को ये कहते हुए इसे छोड़ दिया की BJP केरल में कोई विकास नहीं कर सकती। इनके कार्य के लिए इन्हें पद्म विभूषण, पद्म श्री और ऐसे बहुत सारे सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।



जाने इंडिया के बेस्ट 10 Engineers के बारे में – Satish dhawan

इनका जन्म 25 सितंबर 1920 को श्रीनगर में एक पञ्जाबी परिवार में हुआ था। इनका पालन पोषण लाहौर और कश्मीर में हुआ। धवन ने लाहौर के पंजाब यूनिवर्सिटी से गणित और भौतिक विज्ञान में बैच्लर ऑफ साइंस, मकैनिकल इंजीनियरिंग और अंग्रेजी साहित्य में एमए की पढ़ाई पूरी की। 1947 में इन्होंने aerospace engineering में master of science के बाद aeronautical engineering और उसके बाद mathematics और aerospace engineering में PhD की पढ़ाई पूरी की।

1951 में इन्हें IISc Indian institute of science में senior scientific officer के पद पर नियुक्त किया गया और 1962 तक ये वहाँ कर डायरेक्टर बन गए और 1981 तक इसी पद पर रहे। 1971-1972 में इन्हें California institute of technology, US में visiting professor के रूप के बुलाया गया।

1972 से 1984 तक ये ISRO Indian Space Research Organisation के chairman रहे। इस दौरान 1979 में ISRO के SLV satellite launch vehicle के असफल परीक्षण पर इन्होंने कहा की “हम असफल रहे! लेकिन मुझे अपने टीम पर काफी विश्वास है और मुझे भरोसा है की अगली बार हम जरूर सफल होंगे”। और जब अगले वर्ष यही परीक्षण सफल हुआ तो सारा श्रेय टीम के नाम कर दिया और अब्दुल कलाम को प्रेस वार्ताः में जाने को कहा और स्वयं अनुपस्थित रहे।

1984 से लेकर 1993 तक ये National Aerospace Laboratories, Bangalore के चेयरमैन रहे। 1997-79 के बीच ये Indian Academy of Sciences Banglaore के president रहे। इसके अलावा 1972 से लेकर 2002 तक ये Indian space commission के chairman रहे। 1971 में इन्हे पद्म भूषण और 1981 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 3 जनवरी 2002 को 81 वर्ष की आयु में Bangalore की धरती पर इनका देहांत हुआ।

जाने इंडिया के बेस्ट 10 Engineers के बारे में – Vikram sarabhai

इनका पूरा नाम Vikram Ambalal Sarabhai है, इनका जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद में हुआ था। इनके पिता का नाम Ambalal sarabhai और माता का नाम Sarla devi था। इनका विवाह Mrinalini Sarabhai से हुआ जो की एक classical dancer थीं।

अहमदाबाद में साइंस विषय से इन्टरमीडीएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1940 में ये इंग्लैंड चले गए। और वहाँ university of Cambridge में इन्होंने natural science में tripos की। 1942 में इन्होंने अपना पहला scientific paper “Time Distribution of Cosmic Rays” को प्रकाशित किया। 1945 में इन्होंने Cambridge से ही  ‘Cosmic ray investigations in tropical latitudes’ की अपनी thesis पर PhD की डिग्री ली और cosmic rays पर रिसर्च जारी रखा।

इसके बाद वो भारत आए और Indian institute of science, Bangalore से जुड़े और cosmic rays पर अपना रिसर्च जारी रखा। 1947 में अहमदाबाद में इन्होंने PRL Physical Research Laboratory की स्थापना की जिसे space साइंस का cradle मन जाता है।

इन्होंने Kalpakkam में Fast Breeder Test Reactor, कलकत्ता में Variable Energy Cyclotron Project, हैदराबाद में Electronics Corporation of India Limited और  Jaduguda में Uranium Corporation of India Limited (UCIL) के प्रोजेक्ट पर कार्य किया। इन्होंने satellite launch प्रोजेक्ट में भी अपना योगदान दिया।

1962 में इन्होंने INCOSPAR की स्थापना की जिसे अब ISRO के नाम से जाना जाता है। 1966 में इन्हें पद्म भूषण और 1972 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 30 दिसम्बर 1971 को बॉम्बे में cardiac arrest की वजह से इनकी मृत्यु हो गई। 

जाने इंडिया के बेस्ट 10 Engineers के बारे में – Satyanarayan Gangaram Pitroda

इन्हें Sam Pitroda के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म 4 मई 1942 को odisha के Titlagarh में हुआ था। इनका परिवार महात्मा गांधी के विचारों और उनके philosophy से काफी प्रभावित था।

इन्होंने अपनी स्कूल की शिक्षा गुजरात के Vallabh vidyanagar से पूरी की तथा फिज़िक्स और इलेक्ट्रानिक्स में अपनी मास्टर डिग्री की पढ़ाई वड़ोदरा के Maharaja Sayajirao University से पूरी की। इसके बाद 1964 में Chicago के Illinois Institute of Technology से electrical engineering में मास्टर डिग्री प्राप्त करने के लिए ये united state गए।

1966 में इन्होंने Chicago में GTE के लिए काम करना शुरू किया। इन्होंने 1975 में इलेक्ट्रिक डायरी का आविष्कार किया। 1981 में वो भारत आए तो उन्हें महसूस हुआ की उनके परिवार को Chicago बुलाना कठिन है इसलिए इन्होंने भारत के telecommunication system को modernize करने का सोचा।

1984 में इन्हें भारत के प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आमंत्रित किया गया और वापस आकर उन्होंने C-DOT (centre for development of telematics) की शुरुआत की। 1987 में वो राजीव गांधी के सलाहकार बने और भारत के आंतरिक और विदेशी telecommunication नीतियों को आकार देने में अहम भूमिका निभाई।

इसी समय इन्होंने राजीव गांधी के सलाहकार रहते हुए telecommunications, water, literacy, immunization, dairy और oilseeds के छः technology mission का मार्गदर्शन किया। इसलिए इन्हें telecommunication engineer, inventor और entrepreneur के रूप में जाना जाता है।

2004 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इन्हें National Knowledge Commission का मार्गदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया। इसके बाद 2009 में फिर से भारत सरकार ने इन्हें ICT रेल्वे के expert committee का भी मार्गदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया। अक्टूबर 2009 में इन्हें कैबिनेट मंत्री का पद देते हुए Public Information Infrastructure और Innovations के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का सलाहकार बनाया गया।

2010 में इन्हें National Innovation Council का chairman नियुक्त किया गया तथा 2013 में Central University of Rajasthan का chancellor नियुक्त किया गया। 2017 में इन्हें Indian overseas congress का चेयरमैन बनाया गया। वैसे तो इन्हें बहुत सारे पुरस्कार से सम्मानित किया गया है लेकिन 2009 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

Verghese Kurien

इनका जन्म 26 नवंबर 1921 को केरल के Kozhikode शहर में हुआ था। इनके पिता civil surgeon थे जिनका नाम Dr P.K Kurien था। इनकी स्कूली शिक्षा तमिल नाडू में हुई क्योंकि इनके पिता वहाँ पर सरकारी अस्पताल में कार्यरत थे। 14 वर्ष की उम्र में इन्होंने Loyola College में दाखिला लिया और 1940 में फिज़िक्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

1943 में इन्होंने चेन्नई के College of Engineering, Guindy से mechanical engineering में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। जब ये 22 वर्ष के थे तभी इनके पिता की मृत्यु हो गई और इसके बाद इनके नाना Cherian Matthai ने इन्हे अपने घर Trichur बुला लिया।

इन्होंने विदेश पढ़ाई करने के लिए सरकारी छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया और dairy engineering की पढ़ाई करने का निर्णय लिया। इसके बाद इन्हें 9 महीने तक Bangalore के Imperial Institute of Animal Husbandry में बिताना पड़ा और उसके बाद इन्हें सरकारी छात्रवृत्ति पर अमेरिका के Michigan State University में पढ़ने के लिए भेजा गया और वो Metallurgy में mechanical engineering की मास्टर डिग्री लेकर वापस लौटे।

1949 में इन्हें भारत सरकार द्वारा Bombay province के dairy division का अधिकारी नियुक्त किया गया जहां इन्होंने पाँच वर्ष तक कार्य किया। 13 जनवरी 1970 में operational flood नामक प्रोग्राम ने भारत को दुनिया का सबसे अधिक दूध उत्पादन करने वाला देश बना दिया और इसमें इनकी मुख्य भागीदारी थी। इसलिए भारत में इन्हें Father of white revolution या milkman के नाम से जाना जाता है। इन्होंने खाद्य तेल के लिए भी भारत को आत्मनिर्भर होने में मदद की।

इन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण जैसे महान सम्मान से सम्मानित किया गया। 9 सप्टेंबर 2012 में 90 वर्ष की आयु में गुजरात में इनका देहांत हो गया।

Chewang Norphel

इनका जन्म 1935 में लेह के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। शुरुआती शिक्षा इन्होंने श्रीनगर के Amar Singh College से साइंस विषय से पूरी की। इसके बाद 1960 में इन्होंने लखनऊ से civil engineering में डिप्लोमा कोर्स पूरा किया। और जम्मू कश्मीर के लद्दाख में civil engineer के तौर पर ग्रामीण विकास विभाग में जॉइनिंग ली और 1995 तक कार्यरत रहे।

1996 में ये एक NGO द्वारा चलाई जा रही Leh nutrition project से जुड़े और जलविभाजन विकास के प्रोजेक्ट मैनेजर बने। इन्होंने देखा की उनके यार्ड में एक छोटी सी पानी की धार जो की पॉपुलर पेड़ की छाँव के नीचे बह रही थी उसमें बर्फ जम गया था लेकिन बाकी जगह केवल पानी का बहाव था।

उन्होंने इसके पीछे के कारण को समझा और निष्कर्ष निकाला की बहता हुआ पानी काफी तेज बह रहा है इसलिए उसमें बर्फ नहीं जम रहा जबकि पेड़ के नीचे उसके बहाव की गती कम है इसलिए वहाँ पर पानी बर्फ के रूप में जम गया है।

इसी को ध्यान में रखते हुए इन्होंने नदियों को घाटी की तरफ मोड़ दिया और उसमें रुकवाट करके पानी की गती को कम किया और इस तरह से इन्होंने कृत्रिम glacier का निर्माण किया। और इस glacier की वजह से भू-जल का स्तर बढ़ा तथा सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता बढ़ी। और इस तरह इन्होंने करीब 15 कृत्रिम glacier का निर्माण किया। इसलिए इन्हें Iceman के नाम से भी जाना जाता है।

 इनके बनाए गए glacier में सबसे बड़ा glacier, Phuktsey गाँव में है, जिसकी लंबाई 1000 फीट, चौड़ाई 150 फीट और गहराई 4 फीट है। इसे बनाने में 90,000 रुपये की लागत लगी थी तथा ये गाँव के पूरे 700 लोगों को पानी उपलब्ध कराने में सक्षम है।

इनके कार्य के लिए इन्हें 2015 में पद्म श्री के सम्मान से सम्मानित किया गया। इनके ऊपर Aarti Shrivastava ने एक डाक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई है जिसका नाम White Knight है।



जाने इंडिया के बेस्ट 10 Engineers के बारे में – Vinod dham

विनोद धाम का जन्म 1950 में पुणे में हुआ था। इनके पिता भारत के विभाजन के दौरान रावलपिंडी पाकिस्तान से भारत आए थे। इन्होंने Delhi College of Engineering से 1971 में 21 वर्ष की उम्र में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में BE की स्नातक डिग्री प्राप्त की। इसके बाद दिल्ली में एकलौते semiconductor manufacturer Continental Devices के startup से जुड़े और वहाँ 4 वर्ष तक कार्य किया।

इसके बाद 25 वर्ष की उम्र में फिज़िक्स के MS डिग्री प्राप्त करने के लिए ये अपने परिवार को दिल्ली में छोड़कर स्वयं US चले गए और वहाँ पहुँचने पर उनके जेब में मात्र 8$ थे। ये डिग्री पूरी करने के बाद 1977 में ये अमेरिका की एक कंपनी NCR corporation से जुड़े।

और इसके बाद ये intel corporation से इंजीनियर के पद पर जुड़े और वहाँ इन्होंने मशहूर Pentium processor का निर्माण किया जिसके बाद इन्हें Pentium engineer के नाम से जाना जाता है। ये intel group में कार्य करते हुए Micro-Processor Group में vice-president के पद तक पहुंचे।

1995 में इन्होंने intel को छोड़ दिया और NexGen से जुड़े जिसे बाद में AMD ने ले लिया। फ़रवरी 2015 में इन्होंने Acadgil के cofounder के रूप में entrepreneurship में वापसी की।

इन्हें 13 नवंबर 2014 को Silicon Valley-based organization, VC Taskforce की तरफ से Lifetime Accomplishments Award दिया गया। इन्हे semiconductor और Pentium chip के लिए जाना जाता है। 

Satyendra Dubey

सत्येन्द्र दुबे का जन्म 27 नवंबर 1973 को बिहार में सिवान जिले के शाहपुर गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम बागेश्वरी दुबे तथा माता का नाम फुलमती देवी था। उनके पिता चीनी मिल में छोटे से क्लर्क का काम करते थे। उन्होंने हाई स्कूल तक की पढ़ाई Ganga Box Kanodiya High School से की तथा उसके बाद इलाहाबाद में जूनियर कॉलेज में एडमिशन लिया।

वो 10वीं और 12वीं कक्षा के बोर्ड परीक्षा में अपने राज्य के टॉपर रहे। 1990 में उन्होंने IIT कानपुर में civil engineering में स्नातक के लिए एडमिशन लिया और 1994 तक इस कोर्स को पूरा किया। इसके तुरंत बाद 1996 में इन्होंने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से civil engineering में M.Tech की डिग्री हासिल की।

जुलाई 2002 में वो IES Indian engineering services से जुड़े और National Highway Authority of India में नियुक्ति पाई। इन्हें झारखंड में National Highway 2 में  Aurangabad से Barachatti तक के हिस्से का प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनाया गया और ये highway, golden quadrilateral corridor प्रोजेक्ट का एक हिस्सा था।

इसी प्रोजेक्ट के दौरान वित्तीय अनियमितता के कारण उन्हें ठीके के तीन इंजीनियर को सस्पेन्ड करना पड़ा। इसके अलावा एक बार उन्होंने ठेकेदारों से छः किलोमीटर तक की सड़क का निर्माण फिर से करवाया जिसके कारण सड़क ठेकेदार माफियाओं को काफी नुकसान उठाना पड़ा। इन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ काफी कड़ा रुख अपनाया था।

27 नवंबर 2003 को वो वाराणसी से वापस आ रहे थे और गया रेल्वे स्टेशन पर रात को 3 बजे पहुंचे और वहाँ अपने कार से घर जाने का सोचा लेकिन उनकी कार की बैटरी ठीक नहीं होने की वजह से गाड़ी स्टार्ट नहीं हुई। जब वो घर नहीं पहुंचे तो उनका ड्राइवर उन्हें खोजने निकला और AP colony में सड़क के किनारे उनकी लाश मिली, उन्हें गोली मारी गई थी। इस घटना ने लोगों में आक्रोश भर दिया और इस मुद्दे को parliament में उठाया गया।

प्रधानमंत्री ने इस केस के investigation को CBI को सौंप दिया। 22 मार्च 2010 में पटना हाई कोर्ट ने तीन आरोपियों को सजा सुनाई। वर्ष 2011 में पद्म सम्मान के लिए इनका नाम चुना गया लेकिन दुख की बात ये है की ये उसके पहले ही जा चुके थे।

Conclusion :

जाने इंडिया के बेस्ट 10 Engineers के बारे में. वैसे तो भारत में हर साल बहुत से इंजीनियर बनते हैं लेकिन इतिहास में कुछ ऐसे अनोखे इंजीनियर हुए है जिन्होंने अपने कार्य से दुनिया को बहुत कुछ दिया है। ऐसे लोगों के कठिन परिश्रम से ही आज हम विकास की राह पर अग्रसर हैं। हमें इसके लिए उन सभी लोगों का धन्यवाद करना चाहिए जिन्होंने समाज कार्य में अपना जीवन लगा दिया।

इसमें से कुछ लोगों को तो समाज में जाना जाता है जैसे की अब्दुल कलाम, विक्रम साराभाई, सतीश धवन आदि लेकिन इनके अलावा भी ऐसे इंजीनियर हुए हैं जिन्होंने लोकहित में बहुत कार्य किया है परंतु इन्हें हम नहीं जानते। हमने इस लेख में केवल 10 बेस्ट इंजीनियर का नाम शामिल किया है लेकिन इनके जैसे और भी लोग हैं। इस लेख को जाने इंडिया के बेस्ट 10 Engineers के बारे में अंत तक पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।

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