Number System क्या है.संख्या हमारे हर काम में मददगार और जरूरी चीज बन गया है।इसके मदद से हमारा जीवन काफी सुगम हो गया है और किसी तरह के लेनदेन में ये अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा संख्या हर जगह इस्तेमाल होता है।
इस लेख में संख्या के इतिहास और इसके प्रकार के बारे में जानेंगे। इसके अलावा हम हिन्दी संख्या और अंतर्राष्ट्रीय संख्या पद्धति के बारे में भी चर्चा करेंगे। कुछ संख्याएं हर मनुष्य के काम में आती हैं और कुछ विशेष लोग इस्तेमाल करते हैं इसके बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
Number System क्या है.-संख्या की परिभाषा (Definition Of Number)
Number System क्या है.किसी भी वस्तु की गिनती करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली जो सबसे छोटी इकाई है उसे अंक कहते हैं। इन्हीं अंकों के मेल से संख्या बनती है जो बड़े स्तर की चीजों की गिनती करने के काम आती है। गिनती के अलावा संख्या, किसी परिमाण या अन्य चीजों को दर्शाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
संख्या पद्धति- Number System
Number System क्या है.संख्या पद्धति संख्या को लिखने की एक विशेष विधि है जिससे ये सरल हो जाती है और हमारे विभिन्न काम में आती है। हिन्दू-अरबी संख्या पद्धति विश्व में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली संख्या पद्धति है।
वैसे तो दुनिया भर में बहुत सारे संख्या पद्धति का निर्माण किया गया लेकिन सबसे सफल हिन्दू-अरबी संख्या पद्धति ही रहा है। किसी तरह की गिनती और परिमाण की गणना के लिए संख्या पद्धति बहुत ही जरूरी है।इससे हर तरह की गणना सुगम हो जाती है और हर व्यक्ति बड़ी आसानी से इसे इस्तेमाल कर सकता है।
संख्या किसने बनाई?Who Invented Numbers?
यदि हिन्दू –अरबी संख्या पद्धति की बात करें तो ये भारतीय गणितज्ञों द्वारा करीब 3 से 4 सताब्दी के बीच बनाई गई। हालांकि संख्या का आविष्कार पहले ही हो चुका था। लेकिन उसे एक निशित ढंग से व्यवस्थित करने का काम हिन्दू-अरबी संख्या पद्धति को बनाते समय किया गया। इसके अलावा कुछ अन्य संख्या पद्धति भी बनाई गईं लेकिन ये पद्धति मिलने के बाद सबने इसे अपना लिया।
इसके अलावा अलग-अलग सभ्यता में कुछ अन्य संख्या पद्धति भी देखने को मिलती है। क्योंकि बिना संख्या के इंसान कैसे रह सकता है। जब इंसान को कोई भी चीज एक से अधिक मात्र में मिली होगी तो उसने उसे गिनने के लिए कोई न कोई संख्या जरूर बनाई होगी। इसलिए इस बात के निष्कर्ष पर पहुंचना की सबसे पहले संख्या किसने बनाई ये काफी कठिन होगा।
हिन्दू-अरबी संख्या पद्धति –Hindu Arabic Number System
Number System क्या है.हिन्दू-अरबी संख्या पद्धति को इंडो-अरबी संख्या पद्धति भी कहा जाता है। ये एक पदीय दसमलव संख्या पद्धति है जिसका इस्तेमाल आज पूरे विश्व में किया जाता है। इसकी स्थापना भारतीय गणितज्ञों द्वारा 1 से लेकर 4 सताब्दी के बीच की गई।
9 वीं शताब्दी के आसपास इसे अरबी गणित में भी अपना लिया गया। इसके बाद ये संख्या पद्धति 1000 से 1250 Ad के बीच मध्य यूरोप तक पहुँच गया। आज के समय में ये पूरी दुनिया में इस्तेमाल किया जाने वाला संख्या पद्धति है।
ये संख्या पद्धति 10 चिन्हों पर आधारित है जो पहले 9 था लेकिन सून्य(0) के आविष्कार होने के बाद इनकी संख्या दस हो गई। इन चिन्हों को ब्राह्मी संख्या पद्धति से लिया गया है।
इन चिन्हों को हम तीन भागों में बाँट सकते हैं-पहला ,पश्चिमी अरबी संख्या चिन्ह जैसे की 0,1,2,3,4,5,6,7,8,9. दूसरा, पूर्वी अरबी संख्या चिन्ह जैसे ٠,١,٢,٣,٤,٥,٦,٧,٨,٩ और तीसरा भारतीय चिन्ह जैसे ० १ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९. इनके अलावा कई सारे अन्य चिन्ह भी हैं लेकिन मुख्यतः यही तीनों अधिक इस्तेमाल होते हैं।
हिन्दू-अरबी संख्या पद्धति का विश्व में विस्तार
i) यूरोप में (In Europe)
हिन्दू-अरबी संख्या पद्धति यूरोप में करीब साल 900 से 1000 के बीच फैल गया।दुनिया भर में उपलब्ध सभी संख्या पद्धति में से ये संख्या पद्धति काफी आसान लगा इसलिए इसे दुनियाभर के लोगों ने अपनी-अपनी लिपि में इसे स्वीकार किया। पश्चिमी देशों में इस्तेमाल होने वाला चिन्ह जो आज हम देखते हैं जैसे 1,2,3,4,5.. ये 15 से 16 वीं सताब्दी के बीच बनाया गया जब टाइपसेटिंग की शुरुआत हुई।
ii) पूर्वी एशिया में (In East Asia)
चीन में एक भारतीय मूल के ज्योतिषी और खगोल वैज्ञानिक गौतम सिद्ध ने हिन्दू-अरबी संख्या पद्धति को सन् 718 मे सून्य के साथ बताया। लेकिन उस समय वहाँ के लोगों ने इसे मददगार नहीं पाया क्योंकि उनके पास पहले से स्थितीय दसमलव counting rod सिस्टम था।
चीन की संख्या पद्धति में गोला (o) से शून्य को दर्शाया जाता है। बहुत सारे इतिहासकार ये मानते हैं की शून्य भारत से ही चीन में अपनाया गया था लेकिन कुछ का मत है की ये वहाँ के एक स्पेस फिलर नाम के चिन्ह से लिया गया था।अंततः 19 वीं शताब्दी में चीन और जापान ने हिन्दू-अरबी संख्या पद्धति को अपना लिया।
शून्य(0) की खोज- Invention Of Zero(0)
Number System क्या है-What Is Number System In Hindi.भारतीय इतिहास के अनुसार शून्य की खोज आर्यभट्ट ने की थी। हालांकि इसके पहले कई देशों में इसकी खोज और इस्तेमाल हो रहे थे लेकिन शून्य का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पा रहा था।लेकिन शून्य संख्या पद्धति का एक मुख्य हिस्सा तब बना जब इसका मलतब आर्यभट्ट ने “खाली” बताया।
शून्य के इस्तेमाल के नियम ब्राहमगुप्त द्वारा सातवीं शताब्दी में लिखे गए ब्रह्मसुप्त सिद्धांत में दिया गया है।जिसमें सून्य का स्वयं से योग सून्य बताया गया है।भाग के संदर्भ में सून्य से किसी संख्या को भाग देने पर एक भिन्न मिलता है जिसमें की हर शून्य होता है।
संख्या के प्रकार – Types Of Numbers
Number System क्या है..सबसे पहले इंसानों ने किसी चीज की गणना करने के लिए प्राकृतिक संख्या की खोज की होगी उसके बाद अन्य संख्याओं की। समय के साथ संख्याओं की जरूरत बढ़ी और हमारे गणितज्ञों ने अलग-अलग तरह की संख्याएं ढूँढी। तो चलिए संख्या के प्रकार और उसकी परिभाषा जानते हैं-
1) प्राकृतिक संख्या(Natural Numbers)
प्राकृतिक संख्या को गिनती करने वाली संख्या भी कहा जाता है।इनकी शुरुआत 1 से होती है लेकिन इनका अंत नहीं होता।किसी भी चीज को गिनने के लिए जिन संख्याओं का इस्तेमाल किया जाता है उन्हें प्राकृतिक संख्या कहते हैं।
प्राकृतिक संख्या का उदाहरण -1,2,3,4,5.. आदि ये सभी संख्याएं गिनती करने के काम में आती हैं।इंसानों की सबसे पहली जरूरत यही रही होगी। सबसे छोटी प्राकृतिक संख्या 1 है लेकिन सबसे बड़ी प्राकृतिक संख्या नहीं बताई जा सकती।
2) पूर्ण संख्या (Whole Numbers)
सभी प्राकृतिक संख्या के साथ सून्य को मिलाने के बाद पूर्ण संख्या का निर्माण होता है। जिस समय शून्य की खोज हुई होगी और इसका मतलब “कुछ नहीं” स्थापित किया गया होगा उसी समय संख्या के पूर्ण होने का बोध हुआ होगा और उसे प्राकृतिक संख्या में मिलाने के बाद पूर्ण संख्या बना दिया गया होगा।
पूर्ण संख्या का उदाहरण -0,1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12……. आदि।पूर्ण संख्या का भी अंत नहीं होता और इसकी सबसे बड़ी संख्या नहीं बताई जा सकती।सबसे छोटी पूर्ण संख्या शून्य यानि (0) है।
3) भाज्य संख्या (Composite Numbers)
जो संख्या अपने और 1 के अलावा किसी अन्य संख्या से विभाजित हो जाए उसे भाज्य संख्या कहते हैं। जैसे 4,6,8,9,10 आदि।उदाहरण के लिए यदि 6 अपने अलावा 3 और 2 से विभाजित हो सकता है इसलिए ये भाज्य संख्या है। 10 को देखें तो ये भी 5 और 2 से पूरी तरह विभाजित हो सकता है।
4) अभाज्य संख्या (Prime Number)
जो संख्या सिर्फ अपने से और 1 से विभाजित हो उसे अभाज्य संख्या कहते हैं। ये किसी अन्य संख्या से विभाजित नहीं होते इसलिए इन्हें अभाज्य संख्या कहते हैं। जैसे 2,3,5,7,11 आदि। इसमें 1 को शामिल नहीं किया जाता है। इसलिए इसे ऐसे भी कह सकते हैं की 1 से अधिक ऐसी संख्या जो सिर्फ स्वयं से विभाजित हो उसे अभाज्य संख्या कहते हैं।
5) सम संख्या (Even Number)
कोई भी संख्या जो दो से विभाजित हो जाए उसे सम संख्या कहते हैं। जैसे की 2,4,6,8,10.. आदि। उदाहरण के लिए 8 को यदि दो से भाग दिया जाए तो ये 2 से 4 बार में पूर्ण रूप से विभाजित हो जाएगा। सम संख्यायों का योग भी सम संख्या ही होता है। जैसे 2+4+6=12 होगा जो की एक सम संख्या है।
6) विषम संख्या (Odd Number)
कोई भी ऐसी संख्या जो दो से पूरी तरह विभाजित ना हो उसे विषम संख्या कहते हैं। जैसे 1,3,5,7,9.. आदि। उदाहरण के लिए यदि 3 को 2 से भाग दिया जाए तो ये पूरी तरह विभाजित नहीं होगा और कुछ शेष बच जाएगा इसलिए इसे विषम संख्या कहेंगे।दो विषम संख्यायों का योग हमेशा सम संख्या होती होती है। जैसे 1+3=4 यहाँ 4 एक सम संख्या है।
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संख्या इंसानों के लिए कैसे मददगार है? (How Is The Number Helpful To Humans)?
संख्या के बिना ये दुनिया कैसी होती ?आप एक बार सोच कर देखिए की आप कोई बड़ा सौदा कर रहे हैं तो आपको पता चलेगा की संख्या कैसे मददगार है।
यदि आपको दो चार या दस चीजों की गणना करनी होती या लेन-देन करना होता तो आप कर लेते क्योंकि इंसान का कॉमन सेन्स इतना होता है की वो इतनी संख्या को आराम से समझ लेता। लेकिन जब उससे अधिक लेन –देन की बात होती तो आप असमर्थ होते और काफी समस्या खड़ी होती।
यदि अधिक संख्या में लेन-देन करना हो तो ये बिना संख्या के काफी मुश्किल काम है। जैसे की मान लीजिए आपको 1 लाख रुपये का चावल खरीदना है तो इतने में आपको कितना चावल मिलेगा इसकी गणना करनी होगी।
इसके साथ ही इतने रुपये गिनने के लिए भी संख्या की जरूरत होगी। इतने में जितना चावल मिलेगा उसकी गणना करने के लिए भी संख्या की ही जरूरत है।इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा की संख्या हमारे जीवन के हर मोड पर काम आती है इसके बिना इतनी तरक्की संभव नहीं है।
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संख्या के और महत्त्वपूर्ण इस्तेमाल (More Important Uses Of Numbers)
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- घड़ी का समय आप जब भी देखते हैं तो उसमें भी अंक होता है उसके बिना आप समय का अंदाजा भी नहीं लगा सकते।अंक के बिना आपकी घड़ी बेकार होती।
- जब भी आप किसी तरह की खरीदारी करते हैं तो अंत आपको एक बिल दिया जाता है जिस पर खरीदारी के सभी रेट लिखे होते हैं और उनके दाम भी।
- कैलेंडर में दिवाली की तारीख भी अंक में होती है और आज से दिवाली कितने दिन है ये गणना करने के लिए भी संख्या ही काम आती है।
- हमारे वैज्ञानिक जो ब्रह्मांड में काफी दूर तक शोध करते हैं और उन्हें इसके लिए काफी बड़े-बड़े संख्या की जरूरत पड़ती है यदि संख्या न होती तो इस तरह के सोध के काम भी ना हो पाते।
यदि संख्या ना होती तो क्या होता (What Would Happen If The Number Were Not There?
यदि संख्या ना होती तो आपको कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता। जिस तरह से विकास के लिए अन्य संसाधन जैसे की बिजली या अन्य चीजें है जिनकी खोज की गई है वैसे ही संख्या भी विकास के लिए काफी जरूरी है।संख्या नहीं होता तो कैसा होता चलिए एक बार इसपर नजर डालते हैं।
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- आप कोई भी बड़े स्तर का लेन-देन नहीं कर पाते और व्यवसाय आगे नहीं बढ़ पाता ।
- आप बहुत सारी खरीदारी एक साथ करते तो आपको हिसाब करने में बहुत मुश्किल होती।
- संख्या की बिना किसी भी तरह के सोध नहीं हो पाते और आज हम वैज्ञानिकी दुनिया में इतने आगे नहीं होता।
बस यूं समझ लीजिए की बिजली की तरह संख्या भी विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है अगर संख्या नहीं होता तो बिजली के नहीं होने जैसे ही एक अंधेरा होता।
निष्कर्ष:Conclusion
Number System क्या है-What Is Number System In Hindi.इस लेख हमने आपको संख्या के इतिहास और विकास के बारे कुछ जानकारी देने की कोशिश की है क्योंकि असल में संख्या का इतिहास क्या है ये बताना कठिन हैं। हर सभ्यता के लोगों को संख्या की जरूरत पड़ी होगी और सब ने अपने-अपने तरीके से उसे विकसित किया होगा।बाद में जब उन्हे अपने से अच्छी संख्या पद्धति मिली होगी तो उसे अपना लिया गया होगा। जैसे की हिन्दू-अरबी संख्या पद्धति को अपनाया गया।
संख्या के कुछ प्रकार के बारे में चर्चा की गई है क्योंकि बाकी के संख्या आम लोगों के लिए नहीं हैं। हमें उम्मीद है की आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा और इससे आपने बहुत कुछ सीखा होगा।यदि आपका कोई सवाल हो तो कमेन्ट करके हमें जरूर बताएं हम आपकी हर संभव मदद करेंगे।