Pranab Mukherjee Biography In Hindi. आज हम अपने इस पोस्ट में Pranab mukherjee के बारे में आपको जानकारी देंगे। क्योकि इन्होंने हमारे देश के लिए बहुत से काम किये है और अपना पूरा जीवन देश की सेवा में बीता दिया।Pranab mukherjee भारत के और congress party के एक अहम नेताओ में से एक थे और इनका congress party में काफी महत्व था।
हालांकि इंदिरागांधी की मौत के बाद जब राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने, तो इनके और राजीव गांधी के बीच कुछ मतभेद हो गए थे और इसी कारण इन्होंने congress party को छोड़ कर खुद की party बना ली और congress के खिलाफ elections में खड़े होने के लिए आगे बढ़ने लगे।
लेकिन समय रहते राजीव गांधी और Pranab mukherjee में बातचीत हुई और अपने बीच मतभेदों को खत्म किया तथा फिर से congress party को join कर लिया। जिसके बाद जब तक ये राजनीति में रहे तब तक इन्होंने congress party का साथ नही छोड़ा और congress की सत्ता के दौरान ही इनको राष्ट्रपति के पद पर भी नियुक्त किया गया। तथा इस पद का इन्होंने सम्मान करते हुए काफी कुछ किया और party को भी सही तरह से guide करते रहे।
अगर हम Pranab mukherjee के राजनीतिक करियर को पीछे मुड़ कर देखे तो इन्होंने देश और congress party के लिए बहुत कुछ किया है। और खुद के जीवन को देश के प्रति संपरपित कर दिया।
तो चलिए हम विस्तार से जानते है कि Pranab mukherjee कौन थे और इनका जन्म कहा हुआ था। यह कैसे राजनीति में आये और इनका राजनीतिक करियर कैसा रहा। तथा इनकी मृत्यु कैसे और कब हुई।
Pranab Mukherjee कौन थे।
Pranab mukherjee भारत के पूर्व राष्ट्रपति थे। और इन्होंने अपने पूरे जीवन काल मे कई राष्ट्रीय पदों पर रह कर कार्य किया है। यह congress की सरकार के दौरान वित्तमंत्री रह चुके है। इनका नाम यूरोमनी पत्रिका में इनका नाम विश्व के सबसे अच्छे और विस्वसनीय नेताओ में शामिल किया था।
इतना ही नही बल्कि इन्होंने पार्टी के लिए भी बहुत से काम किये है जिनको गिना पाना बहुत मुश्किल है। लेकिन जब इंद्रा गांधी की हत्या हुई तब इन्होंने ही congress की बिखरती हुई पार्टी को फिर से एक करके संभाला था। तथा नए नए नेताओ को भी ये ही पार्टी में लेकर आये थे ताकि पार्टी को और भी मजबूत किया जा सके।
वही यह भी कहा जाता है कि ये इन्द्रगाँधी के बहुत करीब थे और इन्द्रगाँधी इनके द्वारा दिये गए सभी प्रस्तावों को मानती थी और उन पर अमल भी करती थी। वही ये इन्द्रगाँधी के साथ emergency के दौरान कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़े रहे थे, वही इन्द्रगाँधी के कई फैशलो के लिए लोग pranab mukherjee को ही जिम्मेदार मानते है।
जिस कारण उनको एक बार शाह commission के सामने भी पेश होना पड़ा था। लेकिन जब इन्द्रगाँधी कि पार्टी सत्ता में आई तब इनके ऊपर लगे सभी इल्जामों को हटा दिया गया था।
वही अगर इनके जीवन के पूरे कार्यकाल को देखे, तो इन्होंने अपने जीवन मे काफी कुछ हाशिल किया था और इनको कई बार भारत सरकार के द्वारा सम्मानित भी किया गया था। इसके साथ ही इनको कई बार दूसरे संस्थानों के द्वारा भी सम्मानित किया गया था। लेकिन जब से ये राष्ट्रपति के पद से हटे उसके कुछ समय बाद से ही बीमार रहने लगे थे और साल 2020 में इनकी मृत्यु हो गयी।
Pranab Mukherjee के बारे में निजी जानकारी।
पूरा नाम (Name) | प्रणव मुखर्जी (Pranab mukherjee) |
अन्य नाम | पोल्टू, प्रणब डा |
जन्म | 11 दिसंबर, 1935 |
जन्म स्थान | मिराती, पश्चिम बंगाल, भारत |
उम्र | 83 वर्ष |
धर्म | बंगाली |
जाति | बंगाली |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | मिराती, पश्चिम बंगाल, भारत |
राजनैतिक पार्टी | कांग्रेस |
आखरी कार्यालय | भारत के राष्ट्रपति (2012 से 2017 तक) |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
नेट वर्थ | 3 करोड़ भारतीय रूपये |
मृत्यु | 31 अगस्त, 2020 |
Pranab Mukherjee के जन्म और उनके परिवार के बारे में।
पिता का नाम | कामदा किंकर मुखर्जी |
माता का नाम | राजलक्ष्मी मुखर्जी |
बहन का नाम | अन्नपूर्णा बनर्जी एवं अन्नानापूर्णा बंदापधाय |
विवाह | सन 1957 |
पत्नी का नाम | सुरवा मुखर्जी |
बच्चे | अभिजित (बेटा), शर्मिष्ठ (बेटी), इन्द्रजीत (बेटा) |
Pranab mukherjee का जन्म बंगाल के वीरभूम जिले के किरनाहर के पास मिराती गाँव मे हुआ था। इनका परिवार ब्राम्हण परिवार था और इनके पिता कामदा किंकर मुखर्जी 1920 से ही कांग्रेस पार्टी में सक्रिय थे और ये पश्चिम बंगाल विधान परिषद में 1952 से ही 1964 तक सदस्य और वीरभूम जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके थे।
इनके पिता स्वतंत्रता सेनानी रह चुके थे। जिन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कई आंदोलन किये थे और 10 सालो तक जेल की सजा भी काटी थी। और कांग्रेस के लिए कई कामो को अंजाम भी दिया था। लेकिन इनकी माता एक घरेलू औरत थी और केवल घर तथा परिवार को देखती थी।
वही प्रणव मुखर्जी घर के इकलौते लड़के थे और इनकी दो बहनें थी जिनका नाम अन्नपूर्णा बनर्जी एवं अन्नानापूर्णा बंदापधाय है। तथा इनकी दोनों बहने भी घर के कामो में माँ का हाथ बटाती थी। लेकिन प्रणव को पढ़ने का सौख था और ये पढ़ाई में अधिक रुचि लेते थे तथा अपनी प्राम्भिक पढ़ाई वही के स्कूल में प्राप्त की।
Pranab Mukherjee Biography In Hindi – उनकी शिक्षा के बारे में जानकारी।
Pranab mukherjee की शिक्षा की बात करे तो इनकी शुरुआती शिक्षा बंगाल में ही जहाँ वो रहते थे वही के स्थानीय स्कूल में हुई थी। और जब वो बड़े हुए और अपनी प्राम्भिक शिक्षा को पूरा कर लिया तो आगे की शिक्षा सूरी के सूरी Vidyasagar College से राजनीति शास्त्र एवं इतिहास में graduate की शिक्षा पूरी की।
इसके बाद pranab जी ने law की पढ़ाई करने का मन बना लिया और law की पढ़ाई करने के लिए कलकत्ता आ गए और कलकत्ता यूनिवर्सिटी से इन्होंने law की डिग्री पूरी की। और pranab mukherjee एक वकील तथा कॉलेज के प्रधानाध्यापक भी रह चुके है।
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Pranab Mukherjee का राजनीतिक करियर और इसकी शुरुआत कैसे हुई
अगर हम pranab mukherjee के शुरू से इनकी मृत्यु तक के कैरियर को देखे, तो वो काफी दिलचस्प और संघर्ष पूर्ण रहा है। शुरुआत में जब इन्होंने law की डिग्री प्राप्त की थी तब ये एक lawyer के रूप में कुछ दिनों तक कार्य करते रहे और बाद में इन्होंने पत्रकार के रूप में भी कार्य किया। फिर इनका रणनीति कैरियर 1969 में कांग्रेस पार्टी में राज्यसभा सदस्य के रूप में शुरू हुआ था।
और ये इसी पद के लिए 4 बार चुने गए थे। तथा 1973 में इनको केंद्रीय औद्योगिक विकास विभाग के केंद्रीय उपमंत्री के रूप में मंत्रिमंडल में शामिल हुए। सन 1975 से 1977 के बीच ये इन्द्रगाँधी के काफी करीब होने के कारण उनका साथ आपातकालीन स्थिति के दौरान काफी दिया और इसी कारण से इन पर काफी आरोप भी लगाए गए। लेकिन जब फिर से कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई, तो उनको सभी आरोपों से बली कर दिया गया।
इसके बाद 1982 से1984 तक कई कैबिनेट पदों के लिए इनका चुनाव होता रहा, लेकिन इनकी योग्यता को देखते हुए congress प्रमुख ने सन 1982 में इनको वित्तमंत्री बना दिया गया। और इनका कार्यकाल 1.1 अरब डॉलर loan न चुकाने के लिए विवादित रहा है।
वही जब इन्द्रगाँधी कि मौत हुई तब उसके बाद जब राजीव गाँधी प्रधानमंत्री बने, तब pranab mukherjee के राजीव गाँधी के साथ संबंध कुछ ठीक नही थे। क्योंकि प्रणब जी चाहते थे कि उनको प्रधानमंत्री पद दिया जाए।
Pranab Mukherjee Biography In Hindi
और इन्ही मतभेदों के कारण उनको पार्टी से निकाल दिया गया, जिसके बाद pranab mukherjee ने अपनी नई पार्टी भारतीय समाजवादी पार्टी बना ली। इस दौरान 1985 में ये पक्षिम बंगाल कांग्रेस समिति के अध्यक्ष भी रहे।
लेकिन कुछ समय के बाद 1989 में उनकी राजीव गाँधी के साथ सुलाह हो गयी और दोनों ने बातचीत से अपने अपने मतभेदों को खत्म कर दिया तथा pranab mukherjee ने अपनी नई बनाई हुई राष्ट्रीय समाजवादी पार्टी को कांग्रेस में विलय कर दिया।
लेकिन ऐसा माना जाता है कि उनकी प्रगति में पी वी नरसिम्हा राव जी काफी बड़ा योगदान है और जब वो प्रधानमंत्री बने थे, तब उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान प्रणब मुखेर्जी को योजना आयोग का प्रमुख बना दिया था। और थोड़े ही समय के बाद उन्हें केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और विदेश मंत्रालय का कार्य भी सौंप दिया गया था जिस कारण उनका पार्टी में कद काफी ऊंचा हो गया था।
सन 2004 में जब pranab mukherjee ने जंगीपुर से election लड़ा वो वहाँ पर भारी बहुमत से जीत गए और लोकसभा की seat हाशिल कर ली। इतना ही नही बल्कि इनके साथ ही कांग्रेस पार्टी की नेतृत्व में UPA भी बनी।
Pranab Mukherjee अपने जीवन काल के दौरान रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री, विदेश मंत्री, राजस्व, नौवहन, परिवहन, संचार, आर्थिक मामले, वाणिज्य और उद्योग, समेत विभिन्न महत्वपूर्ण मन्त्रालयों के पद पर रहते हुए काफी सराहनीय कार्य किये, लेकिन कभी प्रधानमंत्री नही बन सके। लेकिन इसी दौरान सोनिया गाँधी ने ये फैशला लिया कि वो मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पद के लिए नियुक्त कर रही है।
ऐसा कहा जाता है कि इस फैशला के पीछे भी Pranab Mukherjee का ही हाथ था। क्योंकि सोनिया गाँधी उनकी कहे को कभी नही टालती थी। क्योंकि जब राजीव गांधी की मृत्यु हुई तब पार्टी की कमान को न चाहते हुए भी केवल प्रणब मुखर्जी के कहने पर सोनिया गाँधी पार्टी की अध्यक्ष बनी और प्रणब मुखर्जी ने उनको राजनीति के सभी दाओ पेच भी सिखाये.
तथा सोनिया के हर फैशले को उन्होंने लेने में काफी मदद की। और उनको कांग्रेस पार्टी का संकटमोचन भी कहा जाता था। क्योंकि जब जब कांग्रेस का बुरा वक्त आया तब तब pranab mukherjee ने कांग्रेस को बीच भवर से निकाल कर किनारे लाये थे।
Pranab Mukherjee Biography In Hindi – स्वभाव कैसा था।
जो लोग राजनीति में इतना interest नही रखते है उन लोगो को कम ही पता होगा कि प्रणब मुखर्जी एक लेखक भी थे और उन्होंने कई किताबें भी लिखी है। इसके साथ ही उनको बाग़वानी का भी बहुत सौख था।
उनकी कुछ किताबें जो कि उन्होंने लिखी है।
- सन 1969 में – मिडटर्म पोल
- सन 1984 में – इमर्जिंग डाइमेंशन्स ऑफ Indian Economy
- सन 1987 में – Off the Track
- सन 1992 में – सागा ऑफ स्ट्रगल एंड सैक्रिफाइस
- सन 1992 में – Challenge Before the Nation.
- सन 2014 में – The Dramatic Decade. The Days of Indira Gandhi Years.
Pranab Mukherjee ने राष्ट्रपति के तौर पर की देश की सेवा
जब कांग्रेस की सरकार सत्ता में दूसरी बार आयी तब जुलाई 2012 में pranab mukherjee ने पी. ए संगमा को 70 प्रतिशत वोटो से हरा कर देश के राष्ट्रपति बने थे। वो पहले ऐसे राष्ट्रपति थे जो कि बंगाली थे। और अभी तक कोई भी बंगाली व्यक्ति राष्ट्रपति के पद पर नही बैठा था। तो यह उनके लिए सम्मान की बात थी।
इस दौरान उन्होंने congress party को बिखरते हुए भी देखा और फिर से उठते हुए भी देखा। लेकिन जितने अच्छे उनके संबंध इन्द्रगाँधी से रहे थे उतने अच्छे कभी भी राजीव गाँधी से नही रहे। लेकिन सोनिया गांधी से उनके संबंध काफी अच्छे रहे और उनको back stage से बहुत guide किया और राजनीतिक करनी भी सोनिया गांधी को इन्होंने ही सिखाई।
जिसके बाद एक तरह से ये सोनिया गांधी के प्रमुख सलाहकार बन गए थे। इन सब के बीच इन्होंने बहुत कुछ देखा। लेकिन कभी भी अपने जीवन से और राजनीतिक संघर्ष से पीछे नही हटे तथा हमेशा मुशीबतों का डट कर सामना किया। तथा कांग्रेस पार्टी उनकी मृत्यु के बाद, आज भी उनको अपना धरोहर मानती है तथा उनका सम्मान करती है। और उनके बताए हुए रास्तों के राजनीति में इस्तेमाल करती है।
Pranab Mukherjee Biography In Hindi – कुल संपति के बारे में जानकारी।
अगर हम प्रणब मुखर्जी की कुल संपत्ति की बात करे तो उनके पास इतनी ज्यादा संपत्ति नही है। उनका पूरे जीवन काल का net worth लगभग 2.69 करोड़ ही है।
और उनके पास कुल दो cars ही थी, जिनकी कीमत केवल कुछ लाखों मे ही होगी। जिनमे से एक अम्बेसडर कार थी और दूसरी ford IKon 2000 model थी। जिसकी कीमत केवल 1 लाख से कुछ ज्यादा ही थी। वही इनके पास 31 लाख के ज्वैलरी रखी थी। जिनको वो कभी भी हाथ तक नही लगाते थे। और केवल वो मुश्किल समय के लिए ही थी।
Pranab Mukherjee Biography In Hindi – मिले Awards
अगर हम pranab मुखर्जी को उनके शानदार कार्य के लिए मिले awards की बात करे, तो उनको सन 1984 में ही वित्तमंत्री के रूप में उपलब्धि मिली थी तथा इससे पहले उनको एक अच्छे सांसद के रूप में 1997 में सम्मानित किया गया था।
इसके बाद इसके शानदार कार्यो के कारण इनको सन 2008 में बड़े award पद्म श्री से सम्मानित किया गया। जिसके बाद इनको और भी कई अवसर भारत सरकार में कार्य करने के लिए party की तरफ से दिए गए और ये उनमे भी खड़े उतरे।
सन 2010 में इनको एक हुए research के बाद finance minister of the year का award दिया गया। उनके शानदार कार्य के लिए जब वो देश के finance minister थे। फिर इसके बाद 2011 में pranab मुखेर्जी को वोल्वरहैम्टन विश्वविद्यालय के द्वारा director की उपाधि से सम्मानित किया गया।
सन 2012 में विश्वेस्वराईया टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी तथा असम विश्वविध्यालय की ओर से इनको ओनररी डी लिस्ट पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। तथा 2013 में इनको ढाका विश्वविध्यालय में बांग्लादेश के राष्ट्रपति के द्वारा कानून की directorate की उपाधि प्राप्त हुई।
वही सन 2016 में आइवरी कोस्ट की ओर से ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ नेशनल ऑर्डर ऑफ द आइवरी कोस्ट’ award भी pranab mukherjee को दिया गया था। इन सब awards के बीच सन 2019 में उनको भारत रत्न award से नवाजा गया था। जो कि उनके जीवन का आखिरी award था।
Pranab Mukherjee Biography In Hindi – मृत्यु कब और कैसे हुई।
Pranab Mukherjee ने अपने जीवन काल मे काफी शानदार काम किये थे और उनको उन कामो का परिणाम भी पार्टी और राष्ट्र के द्वारा अच्छा मिला था। और उनको हर कोई सम्मान की नज़र से देखता था चाहे तो विपक्षी पार्टी के लोग ही क्यों न हो।
लेकिन जब उनका राष्ट्रपति के पद पर कार्यकाल पूरा हो गया और जब वो राष्ट्रपति भवन छोड़ कर अपने घर आ गए, उसके कुछ समय बाद से ही उनका स्वास्थ्य गिरने लगा और शुरुआत में छोटी मोटी परेशानियां होने लगी।
जिसके बाद उनको सेना के research and referral hospital में भर्ती किया गया। लेकिन उनकी स्थिति में कोई सुधार नही हुआ और वो कोमा में चले गए जिसके बाद कुछ समय तक वो वेंटिलेटर पर भी रहे तथा 31 अगस्त 2020 को उनका निधन हो गया। जिसके बाद पूरे सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार उनके परिवार ने किया तथा देश के लगभग सभी पार्टी के members भी उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए।
वही पार्टी की तरफ से उनको याद करते हुए कुछ बयानों में ये भी कहा गया कि उनकी जगह कोई नही ले सकता है और उनकी कमी हमेशा ही पार्टी को खलेगी।
Pranab Mukherjee से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां।
Pranab Mukherjee Biography In Hindi
तो चलिए अब Pranab mukherjee के बारे में कुछ रोचक बातें जान लेते है।
- Pranab mukherjee का बचपन का नाम पोल्टू दा था।
- Pranab mukherjee को अपने पूर्ण जीवन काल मे दो सबसे महत्वपूर्ण awards से सम्मानित किया जा चुका है वो है भारत रत्न और पद्म भूषण।
- वह आर एस एस के convocation समारोह में शामिल होने वाले कांग्रेस पार्टी इकलौते नेता थे।
- यह अपने जीवन काल के दौरान राजनीतिक कैरियर में काफी सफल इंसान रहे है। लेकिन वे अपने द्वारा लड़े गए 3 में से केवल 1 बार ही लोकसभा चुनाव में जीत हाशिल हुई।
- नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में, डॉ मनमोहन सिंह योजना आयोग में प्रणब मुखर्जी से कनिष्ठ रैंक के थे।
- प्रणब मुखर्जी इकलौते ऐसे बंगाली थे जो कि अभी तक के आजाद भारत के राष्ट्रपति के तौर पर देश की सेवा की थी।
- प्रणब मुखर्जी ने अपने 40 सालो के संघर्ष और चुनौतीयो के बारे में डायरी लिखी है जिसको जल्द ही किताब के रूप में प्रकाशित किया जाएगा।
- जब वो राष्ट्रपति बने तब उन्होंने लगातर 7 दया याचिकाओ को निलंबित कर दिया था। जिसमें से एक याचिका मुम्बई हमले में मौजूद आतंकवादी की भी थी।
निष्कर्ष
दोस्तो इस पोस्ट में अपने Pranab Mukherjee के जीवन के बारे में जाना हैं कि कैसे एक आम व्यक्ति से मेहनत के दम पर वो खाश व्यक्ति बन गए और भारत के राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए देश की सेवा की।
Pranab mukherjee के बारे में उनके नज़दीकी लोगो का कहना है कि वो बहुत ही कुशल राजनीतिज्ञ थे। और काफी बुद्धिमान भी, तथा इंद्रा गांधी के मरने के बाद उन्होंने पार्टी को संभाला था। यहाँ तक कि pranab mukherjee ही थे जिन्होंने सोनिया गांधी को भी कई बार मुश्किल फैशलो को लेने में मदद की है।
यहाँ तक कि जब मनमोहन जी देश के प्रधानमंत्री थे तब congress को एक बिल पास करवाना था लेकिन विपक्षी पार्टी के कुछ लोग उसके खिलाफ में थे। तब सोनिया गांधी ने उनको समझाने के लिए प्रणब मुखर्जी को बुलाया और अपनी बात चीत की काबलियत से प्रणब मुखर्जी उन लोगो की कुछ बातें मान कर मध्यस्ता के लिए मना लिया और संसद में बिल को पास करवा लिया।
इन्ही सब खूबियों के कारण जब कांग्रेस 2009 में फिर से सत्ता में आई तो उन्होंने प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति के पद के लिए चुना और प्रणब मुखर्जी ने उस पद को सम्मान पूर्वक स्वीकार किया और उस पद की गरिमा को बनाये रखते हुए देश की सेवा की।
दोस्तो अगर आप में भी कोई नेता बनना चाहता है या बनने की इच्छा रखते है तो उनको प्रणब मुखर्जी के जीवन से बहुत कुछ सिख लेने की जरूरत है। क्योंकि एक नेता होना बिल्कुल भी आसान नही होता है और तरह तरह के challenges का रोज़ सामना करना पड़ता है।
अगर आपको यह जानकारी Pranab Mukherjee Biography In Hindi अच्छी लगी हो तो आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करे। ताकि वो भी इनके जीवन के संघर्ष से कुछ सिख सके।
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